Follow Us @soratemplates

Monday, 23 December 2019

Why Christmas Day Celebrated In Hindi | क्रिसमस डे क्यों मनाया जाता है


Why Christmas Day Celebrated 

क्रिसमस डे क्यों मनाया जाता है

नमस्कार दोस्तों में हूँ, विनोद कैतोलिया में आपका स्वागत करता हूँ, मेरे ब्लॉग पर | दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं जैसा की आपने टाइटल पढ़ लिए होगा, कि क्रिसमस डे क्यों मनाया जाता है? 
दोस्तों में आज आपको इसके बारे में बताऊंगा 
____________________________________________________________________________
जीसस,इसा मसीह
                         ईशा मसीह "जीसस"
  • दोस्तों क्रिसमस डे ईसाईयों का पर्व होता है, इस पर्व को ईशा मसीह के जन्मदिन के अवसर के रूप में मनाया जाता है, ईशा मसीहा इसाई धर्म के प्रवर्तक थे | इस पर्व को विश्व स्तर पर भारत के अलावा दुनिया के अधिकतर देशों में मनाया जाता है | यह पर्व हर वर्ष 25 दिसम्बर के दिन मनाया जाता है | और इस दिन सारे विश्व में अवकाश रहता है | दोस्तों एक काल प्रणाली के अनुसार ईशा मसीहा या यीशु का जन्म 7 से 2 ई.पू. के बीच हुआ था | 25 दिसम्बर ईशा मसीहा की असल जन्मतिथि नहीं है | 
________________________________________________________________________________
                          सांता क्लॉस कौन है 

  • सांता क्लोस की लोकप्रिय छवि को जर्मन के अमेरिकी कार्टूनिस्ट थोमस नस्ट के द्वारा बनाया गया है, जो हर साल एक नयी छवि बनाते थे | इस तस्वीर को ही सांता क्लोस का नाम दिया गया है, इसाई धर्म और दुनिया के कुछ बुद्धिजीवियों का मानना है की क्रिसमस डे की रात्री में क्रिसमस बच्चों को उपहार भें करने के लिए आते हैं | पर यह एक काल्पनिक बात है, सांता क्लोस रियलिटी में है ही नहीं, यह सिर्फ एक तस्वीर के माध्यम से लोकप्रिय हो गए हैं |
____________________________________________________________

                          क्रिसमस पर टिकिट 
  • दोस्तों बहुत से देशों में क्रिश्मस के समय डाक टिकिट भी जरी किये जाते हैं | 
  • 1898 में कनाडा द्वारा स्टाम्प जारी किया गया, इम्पीरियल पैसा डाक का उद्घाटन किया गया | इस स्टाम्प पर एक ग्लोब बना है और नीचे एक्समस 1898 अंकित है |
________________________________________________________

अब चलिए दोस्तों हम आपको इसाई धर्म के प्रवर्तक "यीशु" या "ईसा मसीह" के बारे में बताते हैं |
ईशा मसीह
  • यीशु या यीशु मसीह ( इसके एनी नाम ईशा मसीह, जीसस क्राइस्ट ) यह इसाई धर्म के प्रवर्तक थे | इसाई धर्म के लोग इन्हें परमेश्वर या भगवान् के पुत्र और इसाई त्रिएक परमेश्वर का तृतीय सदस्य मानते थे | इनकी जीवनी और उपदेश ईसाईयों की पवित्र पुस्तक बाइबल में दिए गए हैं |
  • यीशु को इस्लाम में ईसा कहा जाता है | और इन्हें इस्लाम के भी महँ पैगम्बरों में से एक मान जाता है |
  • इसा मसीह का कुरान में भी जिक्र है |
_________________________________________________________________________________

                           ईसा का जन्म और बचपन 
बाइबिल के अनुसार ईसा की माता मरियम गलीलिया प्रांत के नाज़रेथ गाँव की रहने वाली थीं। उनकी सगाई दाऊद के राजवंशी यूसुफ नामक बढ़ई से हुई थी। विवाह के पहले ही वह कुँवारी रहते हुए ही ईश्वरीय प्रभाव से गर्भवती हो गईं। ईश्वर की ओर से संकेत पाकर यूसुफ ने उन्हें पत्नीस्वरूप ग्रहण किया। इस प्रकार जनता ईसा की अलौकिक उत्पत्ति से अनभिज्ञ रही। विवाह संपन्न होने के बाद यूसुफ गलीलिया छोड़कर यहूदिया प्रांत के बेथलेहेम नामक नगरी में जाकर रहने लगे, वहाँ ईसा का जन्म हुआ। शिशु को राजा हेरोद के अत्याचार से बचाने के लिए यूसुफ मिस्र भाग गए। हेरोद 4 ई.पू. में चल बसे अत: ईसा का जन्म संभवत: 4 ई.पू. में हुआ था। हेरोद के मरण के बाद यूसुफ लौटकर नाज़रेथ गाँव में बस गए। ईसा जब बारह वर्ष के हुए, तो यरुशलम में तीन दिन रुककर मन्दिर में उपदेशकों के बीच में बैठे, उन की सुनते और उन से प्रश्न करते हुए पाया। लूका 2:47 और जिन्होंने उन को सुना वे सब उनकी समझ और उनके उत्तरों से चकित थे। तब ईसा अपने माता पिता के साथ अपना गांव वापिस लौट गए। ईसा ने यूसुफ का पेशा सीख लिया और लगभग 30 साल की उम्र तक उसी गाँव में रहकर वे बढ़ई का काम करते रहे। बाइबिल (इंजील) में उनके 13 से 29 वर्षों के बीच का कोई ‍ज़िक्र नहीं मिलता। 30 वर्ष की उम्र में उन्होंने यूहन्ना (जॉन) से पानी में डुबकी (दीक्षा) ली। डुबकी के बाद ईसा पर पवित्र आत्मा आया। 40 दिन के उपवास के बाद ईसा लोगों को शिक्षा देने लगे।
_________________________________________________________________________
                                धर्म - प्रचार 
तीस साल की उम्र में ईसा ने इस्राइल की जनता को यहूदी धर्म का एक नया रूप प्रचारित करना शुरु कर दिया। उस समय तीस साल से कम उम्र वाले को सभागृह मे शास्त्र पढ़ने के लिए और उपदेश देने के लिए नही दिया करते थे। उन्होंने कहा कि ईश्वर (जो केवल एक ही है) साक्षात प्रेमरूप है और उस वक़्त के वर्त्तमान यहूदी धर्म की पशुबलि और कर्मकाण्ड नहीं चाहता। यहूदी ईश्वर की परमप्रिय नस्ल नहीं है, ईश्वर सभी मुल्कों को प्यार करता है। इंसान को क्रोध में बदला नहीं लेना चाहिए और क्षमा करना सीखना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वे ही ईश्वर के पुत्र हैं, वे ही मसीह हैं और स्वर्ग और मुक्ति का मार्ग हैं। यहूदी धर्म में क़यामत के दिन का कोई ख़ास ज़िक्र या महत्त्व नहीं था, पर ईसा ने क़यामत के दिन पर ख़ास ज़ोर दिया - क्योंकि उसी वक़्त स्वर्ग या नर्क इंसानी आत्मा को मिलेगा। ईसा ने कई चमत्कार भी किए |
___________________________________________________________________________________

                               मृत्यु
  • यहूदियों के कट्टरपन्थी रब्बियों (धर्मगुरुओं) ने ईसा का भारी विरोध किया। उन्हें ईसा में मसीहा जैसा कुछ ख़ास नहीं लगा। उन्हें अपने कर्मकाण्डों से प्रेम था। ख़ुद को ईश्वरपुत्र बताना उनके लिये भारी पाप था। इसलिये उन्होंने उस वक़्त के रोमन गवर्नर पिलातुस को इसकी शिकायत कर दी। रोमनों को हमेशा यहूदी क्रान्ति का डर रहता था। इसलिये कट्टरपन्थियों को प्रसन्न करने के लिए पिलातुस ने ईसा को क्रूस (सलीब) पर मौत की दर्दनाक सज़ा सुनाई।
  • तभी तो ईशा मसीह का फोटो फांसी के रूप में दिखाई देता है, उनके हाथ में खील ठुकी हुई होती हैं |
  • ईसाइयों का मानना है कि क्रूस पर मरते समय ईसा मसीह ने सभी इंसानों के पाप स्वयं पर ले लिए थे और इसलिए जो भी ईसा में विश्वास करेगा, उसे ही स्वर्ग मिलेगा। मृत्यु के तीन दिन बाद ईसा वापिस जी उठे और 40 दिन बाद सीधे स्वर्ग चले गए। ईसा के 12 शिष्यों ने उनके नये धर्म को सभी जगह फैलाया। यही धर्म ईसाई धर्म कहलाया।
ईसा अपना ही क्रूस उठाये हुए


No comments:

Post a Comment